Tuesday 8 September, 2009

IIT Bombai में हमर फ्रेशर वेलकम

फ्रेशर वेलकम अर्थात स्वागत समरोह आ कन्वोकेशन अर्थात दीक्षान्त समारोह छात्र जीवन एक अहम क्षण होइत छैक। हम धरावती (मधुबनी), एंग्लो बंगाली इलाहाबाद, यूइंग क्रिश्चियन कालेज इलाहाबाद युनिवर्सीटी एवं जवाहरलाल युनिवर्सीटी में एकर आनन्द लय चुकल छलहुं।
                               आजु आय. आय. टी मे स्वागतसमारोह छल। हम अपन अभिन्न गुजराती मित्र संग ६ बजे सन्ध्याकाल पहुंचलहु। पूरा HSS विभाग छात्र-अध्यापक-HOD-कार्यालयकर्मी सभ उपस्थित छलथि।सब (नव छात्र आओर नव अध्यापक) के क्रम संऽ बजाओल गेलन्हि। प्रो० मिलिन्द माल्शे सर के चल मन गंगा-यमुना तीर सुनलाकऽ बाद संगीतमय वातावरण भय गेल हलांकि ओ राग हमरा लेल सर्वथा अपरिचित छल संगहि अन्य व्यक्ति कऽ प्रस्तुति गिटार आदि आनन्दित कयलक। संबलपुरी नृत्य मनोरम छल। प्रो० शर्मिष्ठा के "ये शमां शमां है ये प्यार का..." वास्तव में शमां बन्हवाक काज कयलक। ई २००६ मे JNU  सऽ Ph.D कय एतय नियुक्त भेलथि।कार्यक्रम आगू बरहल। हमर बारी अयला पर हम तऽ अपन परिचय दय समाप्त करय चाहलहुं किन्तु इलाहाबाद के पृष्टभू्मि के कारण अमिताभ के "खाइके पान.." गेबाक लेल कहल गेल मुदा हमर हाल ओहने अछि जेना आजुक युवा वर्ग के क्रिकेट के बुखार। साफ साफ कही तऽ थपरी बजेबा में आगू। किन्तु आखिर बेसी गप्प सुनबा स बेहतर छल गायब- अन्ततः बिना झिक-झिक के तन मन से दू लाइन झूमै जोकरक गाओल, आगू गेबाक इच्छा जरूर छल मुदा ओ अमिताभ के नहि शाहरुख के छ्लन्हि "इक नार नवेली बरी अलवेली करे अठखेली...."। गीत समाप्ति कऽ बाद प्रश्न भेल "अइसा झटका लगे जिया पे..." झटका लगा क्या?, हम इशारा बुझि चुकल छलहुं कहलहुं जे हमरा त गंगा तीर याद सदिखन रहैत अछि मुदा गंगा-यमुना तीर बला गीत सुनि.... बु्झि सकैत छी।
कुल मिला कऽ आजु लागल जे HSS परिवार में शामिल भेलहुं। HOD  शुरू सऽ अन्त धरि छ्ली। सब भोजन निमित्त गेलथि, मुद प्याज-लहसुन सऽ मित्रता नहि भेलाक कारण हम बाहर आबि अपन प्रकोष्ठ अयलहुं और अहां सभ के समक्ष छी।

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