जैसे सिन्धुज (लवण) एवं सिन्धु (सागर) दोनों का ही सम्पर्क घाव को उद्वेलित करता है उसी तरह सज्जन में छिपा दुर्जन आपके जीवन को उद्वेलित कर देता है। कहा भी अस्तु, ऐसे सज्जनों से दूर रहें....
यह ब्लाग मूलतः हिन्दी भाषा में सर्जना को प्रस्तुत करता है......
Friday, 6 June 2008
मेरी ऋषिकेश / हरिद्वार यात्रा
इतना आलसी क दुबारा हो आए आप लोगो से बात तक नही कर सका इसबार तो लेक्चरार के इन्टरव्यू के लिए gayaa thaa
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